Wednesday, April 8, 2015

Nayi Zindagi

एक नए ज़िन्दगी के चाहत में न जाने क्या क्या छोड़ आये
अपना देश, अपना घर, अपने लोग  छोड़ आये।

इस ज़िन्दगी  के ढेर तरक्की  पर हम ख़ुशी से झूम न पाए
 जिनसे ख़ुशी बाँटते थे उन्हें हम  पीछे छोड़ आये।

इस ज़िन्दगी के हर ग़म  में खुद को अकेले रोते पाए
 जिनसे दुःख बाँटते थे उन्हें हम पीछे छोड़ आये।

इस ज़िन्दगी की  हर दिवाली, हर  ईद, हर त्यौहार सूनी लगती है
  जिनसे त्यौहार बनते थे उन्हें हम पीछे छोड़ आये।

इस ज़िन्दगी का हर दिन, हर शाम अधूरा लगता है
क्योंकि ज़िन्दगी देने वालों को ही  हम पीछे छोड़ आये।

                                                                                       (c) Swati Venkatraman












1 comment:

  1. A good one on the lines of Ek pyaara sa gaon usme peepal ki chaoon

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